जॉन एलिया की मशहूर 25+शायरी

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दोस्तों "बाते"  चाहे दिन गुजरे या गुजरे राते ये कभी खत्म नही होती। लेकिन लोगो का बाते करने का अंदाज अलग अलग होता है। कुछ लोग गागर से सागर भर देते है तो कुछ सागर से गागर मतलब  लोग अपनी फीलिंग को जाहिर करने के लिए ज्यादा शब्दों का प्रयोग करते है तो कुछ कम शब्दों का। पाकिस्तान के प्रसिद्ध शायर जॉन एलिया कम शब्दों से लोगों के दिलों तक अपने जज्बातों को काम बखूबी किया। आज में आपके लिए जॉन एलिया के कुछ प्यार भरी और दर्द भरी बेहतरीन शायरियों का संकलन लेकर आया हु जो आपको पसंद आएगा। जॉन एलिया नाम से कुछ परिचित होंगे और जो परिचित नही है उनकी जानकारी के लिए बता दु जॉन एलिया का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था. आजादी के समय वे पाकिस्तान चले गए। लेकिन उनके दिल मे हमेशा भारत के लिए प्यार रहता था। अपनी यादों में वे अमरोहा लिए फिरते थे इसी पर उनका शेर है कि

"हम तो जैसे यहां के थे ही नही

धूप के थे, सायबां के थे ही नही"


जॉन एलिया की मशहूर 25+शायरी


Jaun-Elia-Love-Shayari-In-Hindi


कभी तो कुछ ऐसा लिख दूँ कि खुद मौन हो जाऊँ। 

हाँ अपनी कलम तोड़ दूंगा, अगर मैं जौन हो जाऊँ।


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हिज्र की आँखों से आँखें तो मिलाते जाइए 

हिज्र में करना है क्या, ये तो बताते जाइए


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बे-दिली क्या यूँही दिन गुज़र जाएँगे 

सिर्फ़ ज़िंदा रहे हम तो मर जाएँगे


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तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है 

तेरे साथ तेरी याद आई, क्या तू सचमुच आई है


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मुझ में अब मेरा जी नहीं लगता 

और सितम ये कि मेरा जी ही नहीं


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ये भी मुमकिन है कि आँख भिगोने लग जाऊँ 

वो कहें कैसे हो आप? और मैं रोने लग जाऊँ


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सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई 

देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ 


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वो जो रहती थी दिल-मोहल्ले में 

फिर वो लड़की मुझे मिली ही नहीं


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कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई 

तूने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया


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तुम पे मरने से कहीं बेहतर था 

हम किसी हादसे में मर जाते


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मैं खुद नहीं हूँ 

कोई और है मेरे अंदर 

जो तुमको अब भी तरसता है, 

अब भी आ जाओ


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शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी, नाज़ से काम क्यूँ नहीं लेतीं 

आप, वो, जी, मगर ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यूँ नहीं लेतीं।


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रहता हूँ कि भूल जाऊँ तुम्हें और खुद भी न याद आऊँ तुम्हें जैसे तुम सिर्फ एक कहानी थी, जैसे मैं सिर्फ एक फ़साना था


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मार चुका है दिल, मगर जिंदा हु मैं

ज़हर जैसी कुछ दवाइयां चाहिए

पूछते हैं आप, आप अच्छे तो है?

जी मे अच्छा हु, दुआएं चाहिए


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इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं, 

सब के दिल से उतर गया हूँ मैं।

क्या बताऊँ कि मर नहीं पाता, 

जीते-जी जब से मर गया हूँ मैं |


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गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने, 

वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने, 

तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं, 

तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने।


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बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या 

ज़माने भर से वादा कर लिया क्या

बहुत नज़दीक आती जा रही हो 

बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या


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बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैं 

कि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैं

किसी सूरत उन्हें नफ़रत हो हम से 

हम अपने ऐब ख़ुद गिनवा रहे हैं


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jaun Elia Sad Shayari In Hindi


इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं

 सब के दिल से उतर गया हूँ मैं 

क्या बताऊँ कि मर नहीं पाता 

जीते-जी जब से मर गया हूँ मैं


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उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या 

दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या 

यूँ जो तकता है आसमान को तू 

कोई रहता है आसमान में क्या 


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अब जुनूँ कब किसी के बस में है 

उसकी ख़ुश्बू नफ़्स-नफ़्स में है 

क्या है गर ज़िन्दगी का बस ना चला 

ज़िन्दगी कब किसी के बस में है


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नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम, 

बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम? 

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं 

वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम?


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इन किताबों ने बड़ा जुल्म किया है मुझ पर

इन मे एक रम्ज है जिस रम्ज का मारा हुआ ज़ेहन

मुज्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नही पा सकता

जिंदगी में कभी आराम नही पा सकता


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सारी दुनिया के गम हमारे है

और सितम ये है कि हम तुम्हारे है

दिले बर्बाद ये ख़्याल रहे, उसने गेसू नहीं संवारे हैं

उन रफ़ीक़ो से शर्म आती है, जो मेरा साथ दे के हारे हैं


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इक हुस्न-ए-बे-मिसाल की तमसील के लिए,

परछाइयों पे रंग गिराता रहा हूँ मैं, 

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई, 

लेकिन यक़ीन सब को दिलाता रहा हूँ मैं।


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शर्मिंदगी है हम को बहुत हम मिले तुम्हें

तुम सर-ब-सर खुश थे मगर ग़म मिले तुम्हें 

मैं अपने आप में न मिला इस का ग़म नहीं

ग़म तो ये है के तुम भी बहुत कम मिले तुम्हें


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नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी 

तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूं करें हम 

बरहना हैं सर-ए-बाज़ार तो क्या 

भला अंधों से पर्दा क्यों करें हम


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अब तू जिस दौर भी गुजर जाए

कोई इसरार जिंदगी से नही

उसके गम में किया सभी को माफ

कोई शिकवा भी अब किसी से नही


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तुम जब आओगी खोया हुआ पाओगी मुझे

मेरी तन्हाई में खवाबो के सिवा कुछ भी नही

मेरे कमरे को सजाने की तम्मना है तुम्हे

मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नही


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यह भी पढ़े :- राहत इंदौरी शायरी


निष्कर्ष


उम्मीद करता हु दोस्तों की आप सभी को जॉन एलिया साहब की प्यार भरी और दर्द भरी बेहतरीन शायरियों का संकलन पसन्द आया होगा। ऐसी ही बेहतरीन शायरियों और साहित्य को पढ़ने के लिए ब्लॉग पर विजिट करते रहे और अपना प्यार देते रहे। धन्यवाद

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