राहत इंदौरी की दो लाइन शायरी: जज़्बातों की गहराई
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दोस्तों जब चाहत मिलती है तो राहत मिलती है। और जहाँ राहत मिले वहाँ शायरी मिलती है। जी है दोस्तों में बात कर रहा हु राहत इंदौरी साहब की। शायद ही कोई बच्चा, जवान, बुढा इस नाम से अनभिज्ञ होगा। उर्दू के प्रसिद्ध शायर और गीतकार जिन्होंने अपनी शायरी, गजलों, और गीतों से सभी के दिलों पे राज किया। यह मेरे भी पसंदीदा शायर है। मैंने इनकी सभी शायरियां सुनी है। मुझे इनके शायरी कहने का अंदाज बहुत पसंद आता था। बदकिस्मती से वो हमारे बीच नही है। लेकिन उनके लिखे काव्य ने उन्हें हमारे दिलों में उन्हें हमेशा जिंदा रखा है। दोस्तों में आज Rahat Indori 2 Line Shayari In Hindi लेकर आया हु। जिन्हें आप पढ़े। और अपनों के साथ साझा करें।
Rahat Indori 2 Line Shayari In Hindi
फैसला जो कुछ हो मंज़ूर होना चाहिए।जंग हो या इश्क़ हो भरपूर होना चाहिए।।
क्या खरीदोगे ये बाजार बहुत महंगा है।प्यार की जिद ना करो, प्यार बहुत महंगा है।।
राह में खतरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है ।मौत कल आती है,आज आ जाए, डरता कौन है।।
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो।ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।।
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं।मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं।।
मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देनालहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना ।।
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है।सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है।।
राहत इंदौरी शायरी हिंदी लव 2 Line
बुलाती है मगर जाने का नहीं,ये दुनिया है, इधर जाने का नहींमेरे बेटे इश्क़ कर मगर,हद से गुजर जाने का नहीं।।
फूलो की दुकान खोले खुशबू का व्यापार करो।इश्क खता है तो, इसे एक बार नहीं सौ बार करो।।
किसने दस्तक दी....ये दिल पर...कौन है...?आप तो अंदर है, बाहर कौन है?
राज़ जो कुछ भी हो इशारों में बता भी देना।हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना।।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखू।हो इजाजत तो तुझे हाथ लगा कर देखूं।।
Rahat Indori Love Shayari 2 Line
जवानियों में जवानी को धुल करते हैं।जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं।।
जितने अपने थे सब पराए थे, हम हवा को गले लगाए थे।है तेरा कर्ज मेरी आंखों पर,तूने सपने बहुत तो दिखाए थे।।
सूरज सितारे चाँद मेरे साथ में रहे।जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे।।
हाथ ख़ाली हैं, तेरे शहर से जाते जाते।जान होती तो मेरी जान, लुटाते जाते।।
चलते फिरते हुए मेहताब दिखाएँगे तुम्हे।हमसे मिलना कभी पंजाब दिखाएँगे तुम्हे।।
Rahat Indori Shayari In Hindi 2 Line
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यों है?जो इतना डरते है, तो घर से निकलते क्यों है?
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है।चाँद पागल है, अँधेरे में निकल पड़ता है।।
ज़ुबान तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे।मैं कितनी बार लुटा हूँ, मुझे हिसाब तो दे।।
समंदरों के सफर में हवा चलाता है।जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है।।
ऊंचे ऊंचे दरबारों से क्या लेना,नंगे भूखे बेचारो से क्या लेनाअपना मालिक ऊपर वाला है,आते जाते लोगों से क्या लेना।
दर्द, दुआ, ख्वाब, दवा, जहर जाम क्या क्या है?मैं आ रहा हु, बता इंतजाम क्या क्या है?
जो दौर है दुनिया का, उसी दौर से बोलो।बहरों का इलाका है, जरा जोर से बोलो।।
तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबो पर वार करो।मल्लाहओ का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो।।
सिर्फ खंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए।ए खुदा, दुश्मन भी मुझको खानदानी चाहिए।।
राहत इंदौरी शायरी हिंदी लव
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहेंजब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें।शाखों से टूट जाए, वो पत्ते नहीं हैं हमआंधी से कोई कह दे, की औकात में रहें।।
जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगेअब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे।भुला दे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशानतेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे।।
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैंचाँद पागल हैं, अन्धेरें में निकल पड़ता हैं।उसकी याद आई हैं, सांसों जरा धीरे चलोधडकनों से भी, इबादत में खलल पड़ता हैं।।
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं?इतना डरते हैं तो, फिर घर से निकलते क्यों हैं?मोड़ होता हैं जवानी का, संभलने के लिएऔर सब लोग यही आके फिसलते क्यों हैं?
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दियाइस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया।अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैंलोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया।।
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूंहो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं।दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता हैसोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं।
राहत इंदौरी की मशहूर शायरी हिंदी में
ये हादसा तो, किसी दिन गुज़रने वाला थामैं बच भी जाता, तो एक रोज़ मरने वाला था।मेरा नसीब...मेरे हाथ कट गएवर्ना मैं तेरी मांग में, सिन्दूर भरने वाला था।।
उसकी कथई आँखों में है, जंतर-मंतर सबचाक़ू-वाकु, छुरिया-वुरियां, खंजर-वंजर सबजिस दिन से तुम रूठी...मुझसे रूठे-रूठे है चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सबमुझसे बिछड़कर वो भी कहाँ अब पहले जैसी हैफ़ीके पड़ गए कपडे-वपड़े, जेवर-वेवर सब
कभी महक की तरह है हम, गुलों से उड़ते हैकभी धुए की तरह, पर्वतों से उड़ते है।ये कैंचियां हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगीके हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ते है
झूठों ने झूठों से कहा है, सच बोलोसरकारी ऐलान हुआ है, सच बोलोघर के अंदर झूठों की एक मंडी हैदरवाज़े पर लिखा हुआ है, सच बोलो
राह में खतरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन हैमौत कल आनी है, आज आ जाए, डरता कौन है।तेरे लश्कर के मुकाबिल, में अकेला हूं मगरफैसला मैदान में होगा, कि मरता कौन है।।
घर से यह सोच के निकला हूं, कि मर जाना हैअब कोई राह दिखा दे, कि किधर जाना है।जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखोइस मुसाफिर को तो, रास्ते में ठहर जाना है।।
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखोजिंदा रहना है तो, तरकीबे बहुत सारी रखो।राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलेंरास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो।।
Romantic Rahat Indori shayari
मैंने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदाउसने धोखा दे के ये किस्सा मुकम्मल कर दिया।शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है?जिसने अच्छे खासे एक शायर को पागल कर दिया।।
हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा हैआज से हमने तेरा नाम, ग़ज़ल रक्खा है।मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दियामेरे कमरे में भी, एक ताजमहल रक्खा है।।
झूंठ से सच से जिससे भी यारी रखेंआप तो अपनी तकरीर ज़ारी रखें।इन दिनों आप मालिक है बाज़ार केजो भी चाहें वो कीमत हमारी रखें।।
तेरी हर बात मोहब्बत में गवांरा करकेदिल के बाज़ार में बैठे है खसारा कर के।आसमानों की तरफ फेंक दिया है मैंनेचंद मिटटी के चरागों को, सितारा कर के।।
में वो दरिया हूँ, हर बूंद भंवर है जिसकीतुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा कर के।आते जाते हैं कई रंग मेरे चहरे परलोग लेते हैं मज़ा, ज़िक्र तुम्हारा कर के।।
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं?में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं?फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं?तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं??
Sad Love Shayari Rahat Indori In Hindi
मेरी साँसों में समाया भी बहोत लगता है।वही शख्स पराया भी बहोत लगता है।।
अकेला खुश हूँ मैं, परेशान मत कर।इश्क़ है तो इश्क़ कर, एहसान मत कर।।
न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा।हमारे पाँव का काँटा, हमीं से निकलेगा।।
अब तो ना हूँ मैं, और ना ज़माने मेरे।फिर भी मशहूर है, शहरों में फ़साने मेरे।।
जो ज़ाहिर करना पड़े, वह दर्द कैसा?और जो दर्द न समझ सका, वो हमसफ़र कैसा?
निष्कर्ष
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