राम की चेतावनी - सतीश सृजन

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 दोस्तो आज में लेकर आया हु कवि सतीश सृजन की बेहतरीन कविता राम की चेतावनी। यह कविता मर्यादा पुरूषोतम राम पर लिखी गयी है। जब प्रभु श्री राम माता सीता को लेने लंका जा रहे थे। तब समुद्र पार कर लंका जाना था। विभीषण के कहने पर श्री राम ने समुद्र से अनुनय विनय, जप तप किया कि वो उन्हें मार्ग दे लंका जाने के लिए। लेकिन समुद्र उन्हें मार्ग नही देता है। तब श्री राम क्रोधित होकर समुद्र के चेतावनी देते है। जिसका वर्णन इस कविता में किया है। इसमे प्रभु श्री राम और समुद्र देवता के बीच के वार्त्तालाप का बहुत ही सुंदर तरीके से कवि ने वर्णन किया है। इस कविता में आपको मंद मुस्कान वाले श्री राम का ओजस्वी रूप देखने को मिलेगा।।


राम की चेतावनी - सतीश सृजन


Satish-Srijan-Poem


महाराज विभीषण बतलाओ 

कोई स्तुति जिसका गान करूं 

सागर तो अब भी ज्यों का त्यों 

अब कौन सा अन्य विधान करूं 


मर्यादा में रहकर मैंने, व्रत रखकर पूरा मान दिया 

रह निराहार एक भक्त भाँति, जप तप कर इसका ध्यान किया 

उत्तम थी मंत्रणा आपकी 

पर मनुहार जलद को ना भाया 

गत तीन दिवस तो रीत गए, बस इसने शठता दिखलाया 


सागर की ओर मुड़े रघुवर, आंखें दिखती अति कोप भरी 

भय के बिन प्रीत नहीं होती, सुजनों ने कही ये बात खरी 

रे सागर, अब तू ध्यान से सुन

रे सागर, अब तू ध्यान से सुन 

जो राम तुम्हें बतलाता है 

किस बूते पर तू अकड़ रा रघुवर तुमको दिखलाता है 


अपनापन बहुत निभाया मैं 

कई रजनी दिवस मनाया मैं 

अनुनय तुझको स्वीकार नहीं 

माना तूने आभार नहीं 

हम क्या है तुम्हें दिखाते हैं 

पल भर में अभी सुखाते हैं 


लक्ष्मण समीप जरा आना तो 

सर चाप मेरा पकड़ाना तो 

एक बाण से अभी मिटाता हूं 

धरती से इसे हटाता हूं


लंका को आज ही है जाना 

क्या इसके बल पर रण ठाना 

मैंने सोचा इन्हे मान मिले 

धरती पर बहु सम्मान मिले 

कामी हरि महिमा ना सुनता 

क्रोधी भी शांति नहीं चुनता 

लोभी वैराग्य से दूर रहे 

ममता रत ज्ञान को व्यर्थ कहे 

इनको समझाना है वैसे 

उसर में बीज पड़े जैसे 


क्यों चला तोलने राम को तू 

इस राम बिना किस काम का तू 

मेरी क्षमता तो न्यारी है 

तुझ पर सौमित्र ही भारी है 

पहले दिन लक्ष्मण बोला था 

शायद तेरा मन तोला था 

आज्ञा यदि पाता शेष मेरा 

ना दिखता कहीं अशेष तेरा 


निज धनुष उठाता लखन अगर 

बिन मांगे देता मुझे डगर 

वो देख अंजनी लाल है ये

यह तेरे जैसों के काल है ये 

इस कपि से रवि थर्राया था 

फल समझ उसे जब खाया था 

हनुमान इशारा भी पाते चुल्लू में तुझको पी जाते 

जब सखा विभीषण युक्ति कही 

जान क्यों मुझको लगी सही 

इस कारण तुझे मनाया है 

मनुहार का पथ अपनाया है 

श्रद्धा से तुझे पुकारा है 

तू समझा राम बेचारा है 


रामत्व देख अब राम का तू 

रामत्व देख अब राम का तू 

ले पकड़ मार्ग यम धाम का तू 

जो राम बाण संधान किया 

सागर की ओर निशान किया 

जल निधि मन में है घबराया 

कर बांधे हरि समुख आया 


बोला प्रभु तेरा दास हूं मैं 

पर मन से बहुत उदास हूं मैं 

निर्माण तुम्ही, संहार तुम्ही 

सब लोकों के आधार तुम्ही

संकल्प से मुझे सुखा सकते 

अब आप ही मुझे बचा सकते 

मेरा अपराध हो माफ प्रभु 

मेरा अपराध हो माफ प्रभु 

नहीं किया रंच उपहास प्रभु 


प्रकृति में जितने पांच तत्व 

उनमें जल का है मुख्य कार 

यदि मैं स्वभाव गुण त्यागा तो 

सृष्टि में उपजे विकार 

जड़ हू, स्थिर है स्वभाव मेरा 

चेतन सम नहीं, प्रभाव मेरा 

तेरे द्वारा ही मैं निर्मित हूं 

और पूरी तरह समर्पित हूं 


हे कमल नैन करुणा निधान 

मुझ पर ना तानो दिव्य बाण 

तुम कहो अभी घट जाऊंगा 

संकल्प से ही मिट जाऊंगा 

श्री राम यही उपकार करो 

यूं बाणों से ना प्रहार करो 


एक सहज उपाय बताता हूं 

अति सरल मार्ग दर्शाता हूं 

नल नील को है, आशीष मिला 

जल पर तैरे पाषाण शिला 

मुझ पर एक सेतु बनवाओ 

सेना लंका तक ले जाओ 

मैं स्वयं भी भार उठाऊंगा 

तेरे चरणों से तर जाऊंगा

 

राघव को जलधि वचन भाए 

तज क्रोध, प्रभु तब मुस्काये

प्रभु बोले मैं संतुष्ट बहुत 

पर ब्रह्मा होंगे रुष्ट बहुत

ब्रह्मास्त्र चढ़ता जब धन 

पर बिन लक्ष्य विधे ना लौटे घर 

रत्नाकर ऐसी राय कहो 

संधान भी हो तेरी हानि ना हो 


सागर बोला हे राम प्रभु 

उत्तर तट में एक धाम प्रभु 

कुछ खल कुटुंब का वास वहां 

वे करते मुझे निराश वहां 

श्री राम अस्त्र को भेद दिया 

जहां जल निधि ने संकेत किया

दंडवत किया करुणा कर को 

और लौट गया अपने घर को

प्रभु सागर को वरदान दिया 

नल नील सेत निर्माण किया 

 

निष्कर्ष

दोस्तों उम्मीद करता हु की आपको बेहतरीन कवि सतीश सृजन की बेहतरीन कविता राम की चेतावनी आपको पसंद आई होगी। अपनी राय मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर दे। और भी बेहतरीन शायरी या कविताओ को पढ़ने के लिए इस  ब्लॉग पर विजिट करते रहिए। धन्यवाद

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1 Comments
  • बेनामी
    बेनामी 9 अक्टूबर 2024 को 12:30 pm बजे

    Wah Wah.... Jabardast

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