Shailesh Lodha Maa Kavita (शैलेश लोढ़ा माँ कविता)
हेलो दोस्तों आपका मेरे ब्लॉग sonofshayrii पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज में आपके लिए लेकर आया हु शैलेश लोढ़ा जी की प्रसिद्ध माँ पर लिखी कविता। यह कविता मुझे भी बहुत पसंद है सोचा आपके साथ भी शेयर कर दु। इस कविता में माँ के न होने या माँ से दूर जाने का जो अहसास होता है। वो बहुत सुंदर तरीके से शैलेश लोढ़ा अपनी कलम से इस कविता में उतारा है। इस कविता में भाव भले ही उनके है पर यह कविता पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि शैलेश लोढ़ा जी ने हमारे मनोभावों को अपनी कविता में उतारा है।
शैलेश लोढ़ा जी एक लेखक, कवि, और अभिनेता भी है इनका जन्म 8 नवम्बर 1969 को जोधपुर(राजस्थान) में हुआ। उन्होंने टेलीविजन में बहुत से कार्यक्रम में काम किया । लेकिन "तारक मेहता का उल्टा चश्मा" में आपने तारक मेहता का किरदार निभाया जिसे लोगों में बहुत पसंद किया।
Shailesh Lodha Maa Kavita (शैलेश लोढ़ा माँ कविता)
कल जब उठ कर काम पर जा रहा था
अचानक लगा कोई रोक लेगा मुझे,
और कहेगा खड़े-खड़े दूध मत पी,
हजम नहीं होगा, दो घड़ी सांस लेले,
अरे! इतनी थंड और कोर्ट भूल गया
इसे भी अपने पास लेले,
मन में सोचा माँ रसोई से बोली होंगी
जिसके हाथों में सना आटा होगा
पलट के देखा तो क्या मालूम था
की वहाँ सिर्फ सन्नाटा होगा
पलट के देखा तो क्या मालूम था
की वहाँ सिर्फ सन्नाटा होगा |
अरे अब हवाएं ही तो बात करती हैं मुझसे,
लगता हैं जब जाऊँगा किसी खास काम से तो,
तो कोई कहेगा दही शक्कर खा ले बेटा अच्छा शगुन होता है
कोई कहेगा गुड खा ले बेटा अच्छा शगुन होता है
पर मन इसी बात के लिए तो रोता है, की सब कुछ है मां सब कुछ
जिस आजादी के लिए मैं तुझसे सारी उमर लड़ता रहा,
वह सारी आजादी मेरे पास है
फिर भी ना जाने क्यों दिल की हर धड़कन उदास है
कहता था ना तुझसे, की मैं वही करूंगा जो मेरे जी में आएगा
और आज मैं वही सब कुछ करता हूं,जो मेरे जी में आता है
बात यह नहीं है की मुझे कोई रोकने वाला नहीं है
बात है तो इतनी सी
सुबह देर से उठूँ न तो कोई टोकने वाला नहीं है
सुबह देर से उठूँ न तो कोई टोकने वाला नहीं है।
रात को देर से लौटूं तो कौन टोकेगा भला
दोस्तों के साथ घूमने पर उल्हाने कौन देगा
मेरे वह तमाम झूठे बहाने कौन देगा
कौन कहेगा की इस उम्र में क्यों परेशान करता है
हाय राम यह लडका क्यों नहीं सुधरता है
पैसे कहां खर्च हो जाते हैं तेरे
क्यों नहीं बताता है
सारा सारा दिन मुझे सातता है
रात को देर से आता है
खाना गरम करने को जागती रहूं
खिलने को तेरे पीछे भागते रहूं
बहाती रहूं आंसू तेरे लिए
कभी कुछ सोचा है मेरे लिए
खैर मेरा तो क्या होना है और क्या हुआ है
तु खुश रहना यही दुआ है
और आज तमाम खुशियां ही खुशियां
गम यह नहीं है
की कोई यह सब खुशियां बांटने वाला होता
पर कोई तो होता जो गलतियों पर डांटने वाला होता।
पर कोई तो होता जो गलतियों पर डांटने वाला होता
तू होती ना
तो हाथ फेरती सर पर
हल्के से बाम लगाती
आवाज़ दे देकर सुबह उठाती
दीवाली पर टीका लगाकर रूपया देती
और कहती बड़ो के पाँव छूना आशीर्वाद मिलेगा
अगला कपडा अगली दिवाली को सीलेगा
बहन को सताता तो चांटे मारती
बीमार पड़ता से रो-रो कर नज़रें उतारती
परीक्षा से आते ही खाना खिलाती
पापा की डांट का डर दिखाती
इसे नौकरी मिल जाए तरक्की करें दुआओं में हाथ उठाती
और तरक्की के लिए घर छोड़ देगा यह सुनकर दरवाजे के पीछे छुपके-छुपके आंसू बहाती
सब कुछ है माँ, सब कुछ, आज तरक्की की हर रेखा तेरे बेटे को छू कर जाती है
पर माँ हमें तेरी बहुत याद आती है
पर माँ हमें तेरी बहुत याद आती है।
यह भी पढ़े :- हमारी अधूरी कहानी -love Story
निष्कर्ष
आशा करता हु आपको Shailesh Lodha Maa Kavita (शैलेश लोढ़ा माँ कविता) बहुत पसंद आई होगी । इसे आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करे ओर अपना प्यार यूही बनाये रखे। धन्यवाद