तुझसे मिलकर - Tarun kumar poetry
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हेल्लो दोस्तों एक बाद फिर से आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है। आज दोस्तों आपके लिए लेकर आया हु एक प्यार और दर्द भरी कविता जिसका शीर्षक है "तुझसे मिलकर" जिसे लिखा है तरुण कुमार यानी कि मैंने इस कविता को प्यार और दर्द भरी इसलिए कहा क्योंकि इसमें जब कोई आपसे दूर होता है तब उसकी याद में जो कहा जाता है उसमें एक दर्द होता है। और प्यार भरी इसलिए क्योंकि प्यार की मीठी उम्मीदें है जो पूरी करना चाहता है। इस कविता को आप पढोगे तो आपको उस दर्द और प्यार का पता चलेगा
तुझसे मिलकर - Tarun kumar poetry
तुझसे मिलकर दिल को सुकुन दिलाना हैभटकता रहता है, इसे मंजिल दिखाना हैढूँढता रहता है जमाने मे हुस्न कोकरीब आकर तेरे, इसे चाँद दिखाना है।बडा बैचेन रहता है तेरे जाने के बादफिर से इसे चैन दिलाना हैतु यही है, इसी दिल मेइस बात का एहसास कराना हैआँखो को लगता है बदल गयी है तूइसे बदला हुआ नजारा दिखाना हैदेख के तेरी आखो मेइन आँखो मे अपना चेहरा दिखाना हैकान तरस गये है तेरी आवाज कोएक बार तुझसे "नाम " कहलवाना हैजो लगता है कानों को अच्छावो शब्द तुझसे कहलवाना हैये के सारे तो बहाने हैमुझे तेरे करीब आना हैजी भर के गले लगकरतुझसे हाल दिल का सुनाना हैमैं नहीं जानता हू मुलाकातकब, कहाँ, कैसे होगीपर दिल की आवाज हैबस तुझे आना हैपल भर ही सहीपास मेरे बैठो तो सहीसब कुछ लगता है गलतमुझे तो लगता है बस तू सहीतस्वीरों को तेरी कब तक देखता रहूँगातू ही बता कब तक तेरी राह देखता रहूँगादुआ कर की फिर से कोई मुलाकात हो जाएसुख रहे है होंठ मेरे, तेरे होंठो से बात हो जाए
निष्कर्ष
दोस्तों उम्मीद करता हु की आपको मेरी लिखी यह कविता "तुझसे मिलकर" पसन्द आयी होगी। इस कविता के बारे में आपकी क्या राय या प्रतिक्रिया है। मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। इस ब्लॉग को आप सभी का ढेर सारा प्यार मिल रहा है जिसके लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया करता हु। ऐसे ही बेहतरीन शायरी और साहित्य को पढ़ने के लिए आप इस ब्लॉग पर विजिट रहे। धन्यवाद