माँ पर सबसे खूबसूरत कविता - ओम व्यास

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 हेल्लो दोस्तो मेरे इस ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करता हु। दोस्तों आज में आपके लिए लेकर आया हु ओम व्यास की माँ पर कविता, यह सिर्फ कविता नही बल्कि एक तरह से माँ की महिमा है। जिसे ओम व्यास जी ने शब्दों से उतारने का प्रयास किया है। इस कविता में आपने माँ के लिए जितनी उपमा का आप कर सकते है बखूबी उन्होंने किया है। जो माँ की तरह इस कविता को और भी खूबसूरत बनाते है। कम शब्दों में माँ की महिमा का बखान इससे सुंदर नही हो सकता।  इसी क्रम में आपने पिता के ऊपर भी कविता लिखी है।  जो पोस्ट में शामिल है। एक पिता के लिए जिन जिन शब्दों, उपमाओं का आप प्रयोग कर सकते थे। वो आपने किया। जो कि एक पिता के चरित्र को चरितार्थ करते है। आप इन कविताओं के जरूर पढ़ें। अपने माँ बाप का सम्मान करें । "क्योंकी माँ बाप दुनिया की वो दौलत है जिसे दौलत देकर भी खरीदा नही जा सकता"



 माँ पर सबसे खूबसूरत कविता - ओम व्यास


Om-Vyas-Maa-Kavita


माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है।

माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है।।


 माँ रोते हुए बच्चों का खुशनुमा पलना है।

माँ मरुस्थल में नदी या मीठा सा झरना है।।


माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है।

माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।।


माँ आंखों का सिसकता हुआ किनारा है।

माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।।


माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है।

माँ मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है।।


माँ कलम है, दवात है, स्याही है।

माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है।।


माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है।

माँ फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।।


माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है।

माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है।।


माँ चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है।

माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है।।


माँ चिंता है, याद है, हिचकी है।

माँ बच्चों की चोट पर सिसकी है।।


माँ चुल्हा-धुंआ-रोटी और हाथों का छाला है।

माँ जंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।।


माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है।

माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।।


माँ की ये कथा अनादि है ये अध्याय नहीं है।

और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है।।


माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता।

और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।।



पिता पर सबसे खूबसूरत कविता - ओम व्यास


Om-Vyas-Maa-Kavita


पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है।

पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है।।


पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है।

पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है।।


पिता पालन है, पोषण है, पारिवार का अनुशासन है।

 पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है।।


पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है।

पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है।।


पिता अप्रदशित अनन्त प्यार है।

पिता है तो बच्चों को इंतजार है।।


पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं।

पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं।।


पिता से परिवार में प्रतिपल राग है।

पिता से ही माँ का बिंदी और सुहाग है।।


पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है।

पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है।।


पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है।

पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है।।


पिता एक जीवन को जीवन का दान है।

पिता दुनिया दिखाने का अहसान है।।


पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है।

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है।।


तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो।

पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो।।


क्योंकि मां बाप की कमी कोई पाट नहीं सकता।

और ईश्वर भी इनके आशीषों को काट नहीं सकता।।


विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है। 

मां बाप की सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।।


विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्राएं व्यर्थ हैं।

यदि बेटे के होते मां बाप असमर्थ हैं।।


वो खुशनसीब हैं मां बाप जिनके साथ होते हैं।

क्योंकि मां बाप की आशीषों के हज़ारों हाथ होते हैं।।


निष्कर्ष


दोस्तों माँ पिता पर लिखी ओम व्यास की कविता आपको कैसी लगी मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अपने माँ पिता का कभी दिल न दुखाये। वक्त निकाल के कुछ वक्त उनके साथ बिताए। क्योंकि वो जो ज्ञान, अनुभव, और आशीष देंगे। वो आपको कोई और नही दे सकता। और पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपनों के साथ शेयर जरूर करे।

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