तू मेरे गांव को गँवार कहता है - gaav poem in hindi
हेलो दोस्तो आपका मेरे इस ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है दोस्तो आज में आपके लिये लेकर आया हु गाँव पर एक कविता जिसे हरेन्द्र सिंह कुशवाह एहसास ने लिखा है। आपने बहुत सुंदर तरीके से गाँव की महिमा का बखान किया है। और भी बहुत ही सुंदर और एकदम सच। इस कविता को जब मैंने पहली बार पढ़ा तो मुझे बहुत प्यारी लगी। और उम्मीद है आपको भी अच्छी लगेगी। एक बार के लिए यह कविता आपको आपके गाँव की याद दिलाने के लिए मजबूर कर देगी।।
तू मेरे गांव को गँवार कहता है - gaav poem in hindi
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है
और तू मेरे गांव को गँवार कहता है।😏
ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है
तू चुल्लू भर पानी को भी वाटर पार्क कहता है।।
थक गया है हर शख़्स काम करते-करते
तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।
गांव चलो वक़्त ही वक़्त है सबके पास
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है।।
मौन होकर फ़ोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं
तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है।
जिनकी सेवा में खपा देते थे जीवन सारा
तू उन माँ बाप को अब भार कहता है।।
वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लाते थे
तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है।
बड़े-बड़े मसले हल करती थीं पंचायतें
तु अंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है।।
बैठ जाते थे अपने पराये सब बैलगाडी में
पूरा परिवार भी न बैठ पाये उसे तू कार कहता है।
अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं
तू इस नये दौर को संस्कार कहता है।।
निष्कर्ष
उम्मीद करता हु दोस्तो आपको हरेन्द्र सिंह कुशवाह एहसास की गाँव पर लिखी कविता आपको बहुत पसंद आई होगी। और इसके साथ ही आपको आपके गाँव की याद भी आई होगी। अगर आपको यह कविता पसन्द आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद