कैसी परम्परा है, ये कैसा विधान है - Lyrics In Hindi
हैल्लो दोस्तों एक बार फिर से मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज मैं आपके लिए एक ऐसी कविता लेकर आया हु। जो आपके दिल की गहराइयों में उतर कर आँखों से आँसू बनकर बाहर निकलेगी। कविता का शीर्षक है कैसी परम्परा है, ये कैसा विधान है kaisi parampara hai kaisa vidhan hai lyrics in hindi यह कविता सभी बेटियों को समर्पित है। इसे संजय सिंह ने लिखा है। इसमें बाप बेटी के रिश्ते का बहुत ही सुंदर चित्रण किया गया है जो आपको कविता को पढ़ते ही समझ में आ जायेगा।
कैसी परम्परा है, ये कैसा विधान है - Lyrics In Hindi
सच बात पूछती हु, बताओ न बाबू जी
छुपाओ न बाबूजी
क्या याद मेरी आती नही
पैदा हुई घर मे मेरे, मातम सा साया था
पापा तेरे खुश थे,मुझे माँ ने बताया था
ले ले के नाम प्यार, जताते भी मुझे थे
आते थे कही से तो, बुलाते भी मुझे थे
मैं हु नही तो, किसको बुलाते हो बाबू जी
क्या याद मेरी आती नही
हर जिद पूरी हुई, हर बात मानते
बेटी थी मगर बेटों से, ज्यादा थे जानते
घर मे कभी होली, कभी दीपावली आयी
सैंडल भी मेरी आयी, मेरी फ्रॉक भी आयी
अपने लिये बंडी( बनियान) भी न, लाते थे बाबू जी
क्या कमाते थे बाबू जी
क्या याद मेरी आती नही
सारी उम्र खर्चे में, कमाई में लगा दी
दादी बीमार थी तो, दवाई में लगा दी
पढ़ने लगे हम सब, तो पढ़ाई में लगा दी
बाकी बचा वो, मेरी सगाई में लगा दी
अब किसके लिए इतना कमाते हो बाबू जी
बचाते हो बाबू जी
क्या याद मेरी आती नही
कहते थे मेरा मन, एक पल न लगेगा
बिटिया विदा हुई तो, ये घर घर न लगेगा
कपड़े कभी गहने, कभी सामान सँजोते
तैयारियां भी करते थे, चुप चुप के थे रोते
कर कर के याद, अब तो न रोते हो बाबू जी
क्या याद मेरी आती नही
कैसी परम्परा है, ये कैसा विधान है
पापा बता न कौनसा मेरा जहान है
आधा यहाँ आधा वहाँ, जीवन है अधूरा
न पीहर मेरा पूरा है, न ससुराल है पूरा
क्या आपका प्यार भी अधूरा है बाबू जी
न पूरा है बाबू जी
क्या याद मेरी आती नही
सच बात पूछती हु, बताओ न बाबू जी
छुपाओ न बाबूजी
क्या याद मेरी आती नही
निष्कर्ष
आशा करता हु की आपको kaisi parampara hai kaisa vidhan hai lyrics in hindi आपको पसंद आई होगी। अगर इस कविता ने आपकी रूह को स्पर्श किया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। और अपनी कोई राय सुझाव हो तो मुझे कंमेंट बॉक्स में जरूर भेजे। धन्यवाद