कान्हा कम्बोज दर्द भरी शायरी हिन्दी मे
हैलो दोस्तों आपका स्वागत है मेरे ब्लॉग sonofshayrii पर आज मैं लेकर आया हु एक ऐसे युवा शायर की शायरी जो सबके सहिते और बहुत प्यारे भी उनकी आवाज में वो जादू है जो हर किसी का मन मोह लेता है।सोशल मीडिया पर उनके काफी वीडियो भी है जो लोगो ने बहुत पसंद किया। मैं बात कर रहा हु कान्हा कंबोज का, यह नाम ही काफी है उनके परिचय के लिए। आप पलवल हरियाणा से संबंध रखते है। आज में लेकर कान्हा कंबोज की बेहतरीन दर्द भरी शायरी हिंदी में जो आपको बहुत पसंद आने वाली है
कान्हा कम्बोज दर्द भरी शायरी हिन्दी मे
पलकों ने बहुत समझाया
पर आँख नहीं मानी।
दिन तो हंसकर गुजारा हमने
मगर रात नहीं मानी।।
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जो कभी ज़हन तक से तस्लीम था
वो नजरो तक से गिर गया।
वो बता रहा है, हद में रहो
जो, अपनी हद से गुजर गया।।
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ये कौन लोग हैं, जो आबाद हुए हैं
किसी से मोहब्बत के, बाद हुए हैं।
लोग बर्बाद होकर, बनते हैं शायर
हम शायर होकर, बर्बाद हुए हैं।।
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की बस अब तुझे भूलने के लिए, याद करता हु
कुछ हद तक अपनी, आदतों से सुधर रहा हु मैं।
जानता हु, तूने बदल लिया है शहर अपना
फिर भी तेरी गली से, गुजर रहा मैं।।
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साँसे चलती है, बदन में हरकत नहीं होती
ये खुद को मारकर जीना कैसा।
ये शराब मुझे मीठी लगती है
ये बताओ, ज़हर पीना कैसा लगता है।।
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हिफाज़त दुश्मनो से, तो कर लेते
कोई अपना, दुश्मनी पे उतर गया है।
मेरे हक में जो दलीले थी, फिजूल है अब
मेरा गवाह गवाही देने से मुकर गया।।
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सुना है, तेरे चाहने वाले बहुत हैं
ये इश्क की मिठाई, सब मे बाँट दी तुमने।
सचमुच बहुत पक्की डोर है, तेरी बेवफाई की
सुना है, रकीब की पतंग काट दी तुमने।।
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है बस वही ज़िम्मेदार, इस हालत का
चलो अब तो कर रहे हैं कारोबार, इस हालत का ।
गले लग कर कहा उसने कभी
देखना तुम्हे रहेगा मलाल, इस हालत का।।
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बात मुझे मत बता, क्या बात रही है
रह साथ उसके, जिसके साथ रात रही है।
ज़रा भी नहीं हिचकिचाई, होते हुए बेआबरू
बता तेरे जिस्म से अब तक, कितनो की मुलाकात रही है।।
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कुछ तो जला होगा, यू बेवजह धुँआ तो न हुआ होगा
जिसे डरते थे ख्वाब में देखने को, वो हादसा हकीकत में कैसे हुआ होगा।
और मेरे हाथ काँपते है, उसकी तस्वीर को छूते हुए
ये दोस्त, वो गैर के साथ हमबिस्तर पर कैसे हुआ होगा।।
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ये कैसा सितम था उसका, कुछ पलों की मोहब्बत के लिए मुझे सालो आजमाया गया।
उन्होंने पहले मेरी फाँसी मुकरर कर दी
अदालत मुझे बाद में ले जाया गया।।
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गिरा ले मुझे, अपनी नजरो से कितना ही
झुकने पर तो मजबूर में, तुझे भी कर दूंगा।
एक बार बदनाम करके तो देख, मुझे महफ़िल में
कसम से शहर में, मशहूर मैं तुझे भी कर दूंगा।।
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सारी रात, उसे छूने से डरता रहा
मैं बेबस, बेचैन, बस करवटे बदलता रहा।
हाथ तो मेरा ही था, उसके हाथ मे
बस बात ये है की, जिक्र किसी ओर का चलता रहा।।
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बेवफाई की सारी हदें, वो पार कर चुकी होगी
अपने बदन की आबरू को, वो तार तार कर चुकी होगी।
मेरे अलावा किसी ओर के साथ हमबिस्तर होकर, वो ये कमाल कर रही होगी
किसकी उंगलियां है तेरे बिस्तर पर, उसकी चादर भी उससे ये सवाल कर रही होगी।।
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गुजरी हुई जिंदगी को, कभी याद न कर
तक़दीर में जो नहीं, उसकी फरियाद न कर।
जो होगा, वो होकर ही रहेगा
तू कल की फिकर में आज की हंसी, बर्बाद न कर ।।
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कभी अय्यास्सी, तो कभी की है मेकशी यारों
पर असल में खा गयी, हमें दिल्लगी ये यारों।
है ज़िम्मेदारी, जो जिंदा है हम वरना
नाकाम इश्क़ में जायज है, खुदखुशी यारों
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निष्कर्ष
आशा करता हु मेरी यह पोस्ट कान्हा कम्बोज दर्द भरी शायरी हिन्दी मे आपको पसंद आई होगी। आप अपनी राय मुझे कंमेंट बॉक्स में जरूर दे तथा इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। और इस ब्लॉग पर अपना प्यार यू ही बनाये रखे। धन्यवाद
Jo new shayari aayi hai vo dalo
G jarur
Sir my inka faen hu