नौ महीने - Manoj Muntashir Poem On Maa

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हेल्लो दोस्तों आपका मेरे ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है। दोस्तों आज में आपके लिए लेकर आया हु मनोज मुंतशिर सर की माँ पर लिखी छोटी सी कविता जिसका शीर्षक है 'नौ महीने' यह माँ पर लिखी बहुत प्यारी कविता है इसमें आपने माँ के प्रेम को सबसे अलग और सबसे अधिक बताया है। जो आपको कविता पढ़ने पर माँ के अदभुत प्रेम का अहसास कराएगा। मनोज मुंतशिर सर का मैं बहुत बड़ा फैन हु यह किसी परिचय के मोहताज नही इनकी ख्याति देश विदेश तक फैली हुई है। यह लेखक कवि और गीतकार है। जिनके लिखे शब्द आज हर बच्चे बच्चे की जुबान पर है। माँ भगवती की इन पर असीम कृपा है जो उनको सुनने वाला बस सुनता ही जाता है। और यह जिस भाव से अपनी रचना लिखते है वो भाव लोगो के दिलों तक पहुँचा देते है।

नौ महीने - Manoj Muntashir Poem On Maa


Manoj Muntashir Poem On Maa


देखो मैं मानता हूँ कि दुनिया का कोई रिश्ता

छोटा या बड़ा नहीं होता

लेकिन मेरी माँ के बराबर कोई और खड़ा नहीं होता


मेरे इंतज़ार में खुली आँखों से बस वही सो सकती है

मेरे दुःख में मुझसे ज़्यादा बस वही रो सकती है


माथा चूम के मुकद्दर बदल देने का जादू

उसी को आता है

और उसी का हाथ है जो थर्मामीटर से भी ज़्यादा

सही टेंप्रेचर बताता है


मैंने मोहब्बत की तमाम किताबें पढ़ डालीं

पहले पन्ने पर माँ का ही नाम लिखा था

वो मुझपे तब से जान देती है

जब मैं प्रेगनेंसी स्ट्रिप पर सिर्फ एक लकीर बनके दिखा था


हिसाब लगा के देख लो,

दुनिया के हर रिश्ते में कुछ अधूरा-आधा निकलेगा

एक माँ का प्यार है,

जो दूसरों से 'नौ महीने' ज़्यादा निकलेगा।


निष्कर्ष


दोस्तो उम्मीद करता हु की मनोज मुंतशिर सर की माँ पर लिखी कविता 'नौ महीने' आपको पसन्द आयी होगी। इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करे। अपनी कोई राय या सुझाव हो तो मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। धन्यवाद
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