रावण - दानव नही मानव

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 हेलो दोस्तो उम्मीद करता हु मंगलमय होंगे। दोस्तों आज मैं आपके बीच मे कविता लेकर आया हु जिसका शीर्षक है रावण - दानव नही मानव जिसे तरुण कुमार यानी मैंने लिखा है। वैसे जानकारी के लिए बता दु मैं कोई लेखक या कवि नही हु जो ख्याल मन मे आते है उन्हें अपनी कलम से आपके बीच मे प्रस्तुत करने की कोशिश करता हु। जैसा कि रावण नाम सुनकर आपके जहन में एक दानव की छवि उभर आती है। जिसके दस मुख है। अहंकारी है। पर इस कविता में मैं उनके इन अवगुणों का पर रख कर एक गुण का बखान कर रहा हु जिसे आप कविता पढ़ कर समझ जाओगे। वो गुण सराहनीय भी है। इसके साथ ही रावण जब आज का दौर, और नारी अस्मिता से खिलवाड़ को देखता होगा तब उसके मन मे जो सवाल उठ रहे होंगे उसको भी मैंने अपनी कल्पना के माध्यम से प्रस्तुत किया है


रावण - दानव नही मानव


Ravan-Kavita-In-Hindi


सिया को हर लाया 

पर हाथ न लगाया


न तो नीयत का बुरा था

न ही तू नजर का बुरा था

तुझे तो तेरे अहंकार ने मारा था


नारी तो सम्मान तो कोई सीखे तुझसे

अपनी बहिन की खातिर भिड़ गया भगवान से


नारी का कभी अपमान न किया

हुआ जितना बस नारी को सम्मान दिया


सिया को लाया था हरण कर

पर रखा निज धाम मेहमान बना कर


कलयुगी इंसान तो तुझसा भी नही बन पाया

देख अकेली नारी, समझ अबला नारी उसकी इज़्ज़त से खेल आया


झांकता हु जब इन हैवानो में

दीखता है तू मुझे तू इंसानो में


जब देखा तुझमे नारी सम्मान का गुण

भूल गया में तेरे सारे अवगुण


दिल से करु तेरा अभिनंदन

एक बार चरण स्पर्श कर करु तेरा वंदन


इस दिल फिर निकली एक ही बात

रावण तू दानव नही तू तो मानव था 



रावण के सवाल



शिवभक्त मैं, ज्ञानी, ब्राह्मण त्रिकालदर्शी था

जननी जगतम्बा को एक नजर में ही पहचाना था


माना अहंकार में सिया हर लाया

माँ तुल्य माना, मन मे कभी पाप न लाया


फिर क्यों? हर साल मेरे नाम की गवाही देता है

क्यों हर साल रावण ही जलाई देता है?


मुझसे बड़े अनगिनत रावण दुनिया मे भी पड़े है

पर देखकर भी, दुनिया वाले गूंगे, अंधे बनकर खड़े है


नारी की अस्मिता से हँसकर खेल जाते है

इस रावण को छोड़, वो रावण नजर क्यों नही आते है?


अबकी बार जब मुझे जलाने आना

नारी सम्मान हो मन मे, तो ही हाथ लगाना


राम बनकर आओगे तो, हँसकर जल जाऊंगा

रावण बनकर आये, तो उस दर्द को मैं सह नही पाऊंगा


ऐसे बहुत से सवालों ने,मन मे घर कर रखा है

अनगिनत रावण के होते, क्यों एक ही रावण जला है


निष्कर्ष


दोस्तों आपने पोस्ट पढ़ी और उम्मीद करता हु आपको मेरी लिखी कविता रावण- दानव नही मानव पसन्द भी आई होगी । इसे अपने दोस्तों और प्रेमियों के साथ शेयर जरूर करे। और इस ब्लॉग को सपोर्ट और प्यार देते है। आप सब का प्यार ही है जो हमे लिखने और नई नई पोस्ट डालने के लिए प्रोत्साहित करता है

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