कुमार विश्वास - कोई दीवाना कहता है
हेलो दोस्तों आपके बीच हाजिर हु कविताओं की श्रृंखला में एक और नयी और बेहतरीन कविता लेकर जो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई। और लोगो ने बहुत प्यार भी दिया। वो कविता है कुमार विश्वास - कोई दीवाना कहता है। यह कविता हर किसी के दिल मे घर कर गयी। और मुझे भी कुमार विश्वास की यह कविता सबसे अच्छी लगती है। यह सिर्फ कविता ही नही एक अहसास भी है। कुमार विश्वास एक कवि के साथ साथ एक बेहतरीन लेखक भी है। जो अपने अलग अंदाज से काव्यपाठ के लिए भी जाने जाते है।
कुमार विश्वास - कोई दीवाना कहता है
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
बदलने को तो इन आंखों के मंजर कम नहीं बदले !
तुम्हारी याद के मौसम हमारे गम नहीं बदले !!
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी तब तो मानोगी !
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले !!
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते !
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते !!
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो !
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते !!
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया !
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया !!
तुम्हारी और मेरी दास्ता में फर्क इतना है !
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया !!
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या !
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या !!
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है !
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या !!
जहाँ हर दिन सिसकना है जहाँ हर रात गाना है !
हमारी ज़िन्दगी भी इक तवायफ़ का घराना है !!
बहुत मजबूर होकर गीत रोटी के लिखे हमने !
तुम्हारी याद का क्या है उसे तो रोज़ आना है !!
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ !
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ !!
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन !
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ !!
मैं जब भी तेज़ चलता हूँ नज़ारे छूट जाते हैं !
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो साँचे टूट जाते हैं !!
मैं रोता हूँ तो आकर लोग कँधा थपथपाते हैं !
मैं हँसता हूँ तो अक़्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं !!
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता !
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता !!
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो !
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता !!
हमारे वास्ते कोई दुआ मांगे, असर तो हो !
हकीकत में कहीं पर हो न हो आँखों में घर तो हो !!
तुम्हारे प्यार की बातें सुनाते हैं ज़माने को !
तुम्हें खबरों में रखते हैं मगर तुमको खबर तो हो !!
बताऊँ क्या मुझे ऐसे सहारों ने सताया है !
नदी तो कुछ नहीं बोली किनारों ने सताया है !!
सदा ही शूल मेरी राह से खुद हट गये लेकिन !
मुझे तो हर घड़ी हर पल बहारों ने सताया है !!
हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है !
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !!
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है !
तुम्हारे और मेरे बीच में फिर से जमाना है !!
मेरा प्रतिमान आंसू मे भिगो कर गढ़ लिया होता !
अकिंचन पाँव तब आगे तुम्हारा बढ़ लिया होता !!
मेरी आँखों मे भी अंकित समर्पण की रिचाएँ थीं !
उन्हें कुछ अर्थ मिल जाता जो तुमने पढ़ लिया होता !!
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ !
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ !!
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो !
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ !!
हमें दो पल सुरूरे-इश्क़ में मदहोश रहने दो !
ज़ेहन की सीढियाँ उतरो, अमां ये जोश रहने दो !!
तुम्ही कहते थे ये मसले, नज़र सुलझी तो सुलझेंगे !
नज़र की बात है तो फिर ये लब खामोश रहने दो !!
मैं उसका हूँ वो इस अहसास से इनकार करता है !
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करता है !!
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है मुझसे वो लेकिन !
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है !!
अभी चलता हूँ, रास्ते को मैं मंजिल मान लूँ कैसे !
मसीहा दिल को अपनी जिद का कातिल मान लूँ कैसे !!
तुम्हारी याद के आदिम अंधेरे मुझ को घेरे हैं !
तुम्हारे बिन जो बीते दिन उन्हें दिन मान लूँ कैसे !!
भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा !
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा !!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का !
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा !!
कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा !
कोई ख़्वाबों में आकर बस लिया दो पल तो हंगामा !!
मैं उससे दूर था तो शोर था साजिश है, साजिश है !
उसे बाहों में खुलकर कस लिया दो पल तो हंगामा !!
जब आता है जीवन में ख्यालातों का हंगामा !
ये जज्बातों, मुलाकातों हंसी रातों का हंगामा !!
जवानी के क़यामत दौर में यह सोचते हैं सब !
ये हंगामे की रातें हैं या है रातों का हंगामा !!
कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा !
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा !!
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर !
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा !!
इबारत से गुनाहों तक की मंजिल में है हंगामा !
ज़रा-सी पी के आये बस तो महफ़िल में है हंगामा !!
कभी बचपन, जवानी और बुढापे में है हंगामा !
जेहन में है कभी तो फिर कभी दिल में है हंगामा !!
हुए पैदा तो धरती पर हुआ आबाद हंगामा !
जवानी को हमारी कर गया बर्बाद हंगामा !!
हमारे भाल पर तकदीर ने ये लिख दिया जैसे !
हमारे सामने है और हमारे बाद हंगामा !!
ये उर्दू बज़्म है और मैं तो हिंदी माँ का जाया हूँ !
ज़बानें मुल्क़ की बहनें हैं ये पैग़ाम लाया हूँ !!
मुझे दुगनी मुहब्बत से सुनो उर्दू ज़बाँ वालों !!
मैं हिंदी माँ का बेटा हूँ, मैं घर मौसी के आया हूँ !
स्वयं से दूर हो तुम भी, स्वयं से दूर हैं हम भी !
बहुत मशहुर हो तुम भी, बहुत मशहुर हैं हम भी !!
बड़े मगरूर हो तुम भी, बड़े मगरूर हैं हम भी !
अत: मजबूर हो तुम भी, अत: मजबूर हैं हम भी !!
हरेक टूटन, उदासी, ऊब आवारा ही होती है !
इसी आवारगी में प्यार की शुरुआत होती है !!
मेरे हँसने को उसने भी गुनाहों में गिना जिसके !
हरेक आँसू को मैंने यूँ संभाला जैसे मोती है !!
कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन !
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन !!
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने !
कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन !!
हमें दिल में बसाकर अपने घर जाएं तो अच्छा हो !
हमारी बात सुनलें और ठहर जाएं तो अच्छा हो !!
ये सारी शाम जाब नज़रों ही नज़रो में बिता दी है !
तो कुछ पल और आँखों में गुज़र जाएँ तो अच्छा हो !!
बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन !
मन हीरा बेमोल लुट गया रोता घिस घिस री तातन चन्दन !!
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की हैं !
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन !!
निष्कर्ष
दोस्तों आशा करता हु की यह पोस्ट कुमार विश्वास - कोई दीवाना कहता है आपको पसंद आया होगा। अपनी राय या सुझाव मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर दे। और अपने पसंदीदा पोस्ट को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, और प्रेमियों के साथ साझा करते रहे। और अपना प्यार इस ब्लॉग को देते रहे।