मेरे महबूब की शादी - Lekhak Rang Shayari Lyrics In Hindi
हैल्लो दोस्तो मैं तरुण कुमार आपका मेरे इस ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है । दोस्तों आज में आपके के लिए एक एक बेहतरीन नज्म "मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूँ क्यों नही" लेकर आया हु जो मुझे बहुत पसंद है । और आपको भी पसंद आएगी इस नज्म को करण गौतम ने लिखा है करण गौतम जिनकी रचनायें लेखक रंग नाम से प्रकाशित होती हैं। यह दर्द भरी नज्म है। जिसमे लेखक रंग ने उस वक़्त के दर्द को बताने की कोशिश की है जब किसी आशिक के महबूब की शादी होने वाली होती है तब जो वो महसूस करता है और अपने महबूब को पाने की कोशिश में जो भाव उसके मन में आते है। वो ही भाव लेखक रंग ने नज्म से माध्यम से प्रस्तुत किये है
मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूँ क्यों नही
की यह झूठ है, पर हर दफा लिखूंगा मैं
पढ़ सके यह जमाना सारा, इतना सफा लिखूंगा मैं।
तुम बदले थे, कब से सुन रही है यह दुनिया
आज इस नज्म मे, खुद को बेवफा लिखूंगा मैं ।।
तुमने मनाया होगा, मैं ही नहीं माना होगा शायद
तुमको तो आता था, मुझे ही नहीं आया निभाना शायद।
तुम तो चाहती थी, की हम जनम जनम के लिए एक हो जाएं
पर मैं ही नहीं चाहता था, तुमको पाना शायद ।।
शायद मैंने ही, इंतजार नही किया होगा
तुमने तो किया था, पर मैंने ही प्यार नही किया होगा शायद।
चल सारी गलती मेरी है, कुबूल करता हूं
रोजाना तुझे याद करके, वक्त फिजूल करता हूं ।।
अब इन आंखों को तेरा इंतजार नहीं
ऐसा नहीं कि तुझसे प्यार नहीं।
पर फिर से तुझे पा सकूं, इतनी मेरी औकात कहां
तुझ में तो है जान, पर मुझ में बात कहां ।।
खैर अपनी शादी का बुलावा देना, मैं आऊंगा जरूर
एक ही निवाला सही, पर खाऊंगा जरूर।
आखिर कब तक, आंसुओं से पेट भरता रहूंगा
ऐसा कब तक तुझे, याद करता रहूंगा
उस दिन सबके सर पर, सेहरे देखूंगा मैं।
पूरी रात रुक कर, सातों फेरे देखूंगा मैं ।।
वह सात वचन जब लोगी तुम
ईश्वर की कसम, जब लोगी तुम ।
तुम्हारी आंखों में शर्म देखनी है
मुझे उस आग की लपटें चीक उठे
अग्नि इतनी गरम देखनी है मुझे ।।
उस दिन के बाद, हर रात नाचूंगा में
जिस रात तुम्हारी बारात में नाचूंगा में ।
कोई पूछेगा रुखसती के वक्त तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं
मैं कहूंगा, मेरे महबूब की शादी है मैं नाचू क्यों नहीं ।।
जिस दिन सजना सवरना अपनी शादी के लिए
कसर मत छोड़ना, मेरी बर्बादी के लिए ।
पर मेरे दिल को रिहा कर देना, अपने सीने से
बेचारा कब से तड़प रहा है, आजादी के लिए ।।
तुम्हारी चूड़ियां खनखाएँगी जब, मेरा नाम गुनगुनयेगी जब उसकी आवाज अपने शौहर से छुपा लेना ।
वरना जिंदगी तन्हा ही बीता लेना
वरना कर सको तो कर देना शांत, अपने पैरों की पायल को
मेरे नाम का शोर फिर कभी मचा लेना।।
तुम्हारे माथे का टीका बेशक तुम्हारी शान रहेगा
रौनक देख चेहरे की, हर शख्स हैरान रहेगा ।
अपने अंदर के इंसान को भी, क्या छुपा सकोगे तुम
जो सिर्फ मुझे देखने के लिए, परेशान रहेगा ।।
कि माना शुरुआती दौर तुम्हें अच्छा लगेगा
नए रिश्ते बनेंगे, हर शख्स अच्छा लगेगा ।
मेरा प्यार अपने दिल से मिटा दोगे तुम
सब कुछ अपने शौहर पर लुटा दोगी तुम।
पर एक रात मेरा नाम, तुम्हारी जुबां पर आएगा
तुम देखना मेरी जान सब कुछ बता दोगी तुम ।।
यह देखना यह सब भी बता दोगी, वो सब भी बता दोगी तुम ।
बता दोगी कि तुम्हें शादी से तुम्हें कोई एतराज नहीं था तुम्हारी ही गलती थी, मैं दगाबाज नहीं था ।।
इस नज्म को सुनकर, अगर इरादा बदले तुम्हारा
खुद से किया, हर वादा बदले तुम्हारा।
तो पीछे के दरवाजे पे इंतजार तुम्हारा करूँगा
तुम बस समझ जाना, आंखों से इशारा करूंगा ।।
और इतने पर भी तुम्हें मुझ पर एतबार नहीं
बस एक बार कह दो कि तुम्हें मुझसे प्यार नहीं ।
तुम्हें पलटकर कभी सताउंगा नहीं
तुम्हें मांगा था उस खुदा की दहलीज पर कभी जाऊंगा नहीं
मुझे सुनने वाले मुकर्रर मुखरर कहे बेशक
तुम्हारी कसम इस नज्म को दोबारा सुनाऊंगा नहीं ।।
निष्कर्ष
उम्मीद करता हु आपको करण गौतम ( lekhak rang ) की नज्म "मेरे महबूब की शादी है मैं नाचूँ क्यों नही" पसन्द आयी होगी। अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करे। और अपना प्यार इस ब्लॉग पर बनाये रखे। धन्यवाद