बचपन लौटा दो - Bachpan Poetry In Hindi
हैल्लो दोस्तो आपका मेरे इस ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। दोस्तों जिंदगी एक सफर की भांति है। जिसमे सबसे सुनहरा पल बचपन होता है। बचपन हर किसी का सबसे हसीन पल होता है। जिसे हम अगर सोचने लगे तो भी चेहरे पर खुशी आ जाती है। पर अफसोस यह होता है कि बचपन की खुशी को महसूस तो कर सकते है पर बचपन मे लौट कर नही जा सकते। बचपन यादों का एक तरह से संगम होता है। जिसमे हमारी बचकानीया, नादानियां, शरारते, शैतानिया,पागलपंतीया और बहुत सी हरकते होती है। हर कोई एक बार अपने बचपन मे जाना चाहता है। उसे फिर से जीना चाहता है। पर ऐसा होता नही दोस्तों आज में आपके लिए उन्ही बचपन की यादों पर एक कविता बचपन लौटा दो - Bachpan Poetry In Hindi लेकर आया हु। जो मैंने यानी तरुण कुमार (पाली राजस्थान) ने लिखी है। जो मेरे बचपन के साथ कही न कही आप के बचपन से भी तालुक रखती है और आपको पसंद भी आएगी।
बचपन लौटा दो - Bachpan Poetry In Hindi
ऐ खुदा मुझे एक पल के लिए बचपन लौटा दो
इस शूट बूट में घुटन सी होती है
मुझे तो वही टूटे बटन वाला शर्ट और फट्टी चड्डी पहना दो
नही मिलता नही महलो से घरों में सुकून
मुझे तो वही टूटी झोपड़ी,खुला आसमान, और वो छोटी सी खटिया दिला दो
नही बुझती प्यास इन फ्रीज के पानी से
मुझे तो पनघट से भरे मिट्टी के मटके का पानी पिला दो
इन नोटों से नही मिलती इस दिल को संतुष्टि
मुझे तो फिर से वही खोटे सिक्कें दिला दो
नही भाती मुझको ये महँगी चॉकलेट
मुझे वही चव्वनी की चार गोलियां दिलावा दो
नही लगता अच्छा ये झूठा जग, स्वार्थी लोग
मुझे फिर से सच्चा प्रेम, अच्छे लोगो से मिलवा दो
तरुण ने बचपन की तस्वीरो से यह बात सीखी है
की बचपन की खुशियों के आगे जन्नत की खुशियां भी फीकी है
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निष्कर्ष
दोस्तो आशा करता हु की आपको मेरी लिखी कविता बचपन लौटा दो - Bachpan Poetry In Hindi पसन्द आयी होगी। जो आपको बचपन मे लौट जाने का अहसास दिला रही होगी। अगर आपको यह कविता वाकई में पसन्द आयी हो तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद