आत्महत्या पर कविता - Aatmhatya Poetry In Hindi
हैल्लो दोस्तों आपका मेरे इस ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। दोस्तों आज में एक ऐसे टॉपिक पर कविता लेकर आया हु जो आज के युग की बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। वो है आत्महत्या। लोग आजकल चिंता और छोटी मोटी समस्या का सामना नही करके आत्महत्या कर देते है। उन्हें लगता है आत्महत्या ही उनके समस्या का समाधान है पर वो यह नही जानते कि आत्महत्या से बहुत सी समस्या पैदा होती है। जो उनके बाद उनके परिवार वालो को झेलनी पड़ती है। पर इस कविता में मैंने आत्महत्या कितने वालों के मनोभावों को उतारा है। इसका मतलब यह नही की मैं आत्महत्या का समर्थन करता हु या आत्महत्या का समर्थक हु। मेरी तो यही राय और सोच है कि समस्या रात की तरह होती है। जो कुछ देर के लिए आती है और चली जाती है तो ऐसे मैं कभी आत्महत्या जैसा ख्याल भी दिल मे न लाए। जिंदगी बड़ी मुश्किलो के बाद मिलती है इसे ऐसे ही मौत के हवाले न करे।
आत्महत्या पर कविता - Aatmhatya Poetry In Hindi
आत्महत्या से क्यू करते हो उपेक्षा |
आत्महत्या करने वाले से पूछो उसे, उससे कितनी थी अपेक्षा
ऐसे ही नहीं चुनी होगी उसने यह राह |
अँधेरे में दिखी बस उसे यही राह ||
जब उम्मीदे टूटी होगी |
होंठो से हँसी छूटी होगी |
ज़िन्दगी ज़िंदगी से रूठी होगी ||
थका होगा तभी तो बैठा होगा |
पूरा टूटा होगा तभी तो ज़िन्दगी से रूठा होगा ||
जब खुद को बेसहारा पाया होगा |
तब ही उसने आत्महत्या को गले लगाया होगा ||
जमाने मे अपना स्वार्थ कौन नही सोचता |
जब उसने अपना स्वार्थ सोचा, तो तू क्यों उसको कोसता ||
सुख की चाह किसे नही होगी |
ज़रा सी उसने खुशी क्या चाही वो भी तुझे रास न आयी ||
तूने खुशियों से अपनी सेज सजायी |
उसने अपनी खुशियों के लिए सेज सजायी ||
तरुण का तजुर्बा कहता है
जिसे तू कहता है जघन्य अपराध !
जिसने अपना सोचा, अपनो का सोचा वो कैसे हो सकता है अपराध ||
वो है निरपराध, वो है निरपराध, वो है निरपराध
निष्कर्ष
उम्मीद करता हु आपको मेरी लिखी कविता आत्महत्या - Poetry In Hindi पसन्द आयी होगी। अपनी राय मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर दे। और इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद